Russia Kicked Out George Soros's Activist. India Shows True Face To United Nations On Religion.
रूस ने जोर्ज सोरोस से जुड़े संगठन की कार्यकर्ता को भगाया
दिनांक 04 Dec 2020, रूस के पूर्व राष्ट्रपति ‘दिमित्री मेदवेदेव’ ने 'जोर्ज सोरोस' के संगठन की पोल खोलते हुए दावा किया कि विश्व के सबसे बड़े देश (रूस) में घोर अशांति फ़ैलाने के लिए एक संगठित अभियान चलाया जाता जिसमे हंगरी के अमेरिकी अरबपति निवेशक ‘जोर्ज सोरोस’ से जुड़े प्रमुख मानवाधिकार संगठन की कार्यकर्ता ‘वेनेसा कोगन’ का निवासी परमिट रद्द कर दिया और उसे देश छोड़ने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया जिसको ‘दा गार्डियन’ के साथ वार्ता में कार्यकर्ता कोगन ने स्वीकार किया है ! रूस के सुरक्षा परिषद ने कहा कि इस तरह के एनजीओ हमारे राष्ट्रीय इतिहास की घटनाओं को फिर से लिखने के लिए कई संदिग्ध कारणों का उपयोग करते हुए इंटरनेट मीडिया पर निर्भर करता साथ में “बड़े पैमाने पर सूचना अभियान” के जरिये कुछ विशिष्ट क्षेत्रो और संघीय विषयों के नेतृत्व को बदनाम करने के लिए चलाया जा रहा है ! जोर्ज सोरोस ने इसी साल कहा था कि वह “राष्ट्रवादियों से लड़ने” के लिए एक वैश्विक विश्विद्यालय शुरू करने के लिए $1 बिलियन देने का वादा किया था ! साथ में उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री पर भी आरोप लगाये थे ! [1]
भारत में भी इस संगठन के लोग काम करते जिसका काम राष्ट्रहित में बाधा डालने का है ! इसमे इन संगठनों ने न्यायपालिका और मीडिया की मदद लेते है ! भारत में इनकी एक संस्था ‘ओपन सोसाइटी फौंडेशन’ ( ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट ) के नाम से करती जिसका भारत में हेड तथाकथित कार्यकर्ता (हरा?खो?) 'हर्ष मंदर' है ! यह वही आदमी है जिसने दिल्ली दंगों में मुसलमानों से कहा था कि अब हम लोगो को लड़ाई रोड पर लड़नी होगी और कोर्ट पर भरोसा नहीं ! एक खास बात यह भी हर्ष मंदर यूपीए सरकार में सोनिया गाँधी द्वारा बनाई गई ‘नेशनल एडवाइजरी कमेटी’ में शामिल था इसके साथ में हिंदू के खिलाफ ‘हिंदू वाइलेंस बिल’ बनाने में शामिल था ! इन्ही के एनजीओ का मुख्य उद्देश्य में एक रोहिंग्या को देश में बसाना है ! इसी संस्था के हर्ष मंदर और अरुणा रॉय ने आतंकी कसाब की फाँसी को रोकने के लिए दया याचिका पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भेजी थी ! [2]
India speaks in UNGA on “Culture of Peace”
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) December 2, 2020
Every major world religion has a home in India, making it a civilization in itself.
UN & @UNAOC should not take sides on religion
Attacks against Buddhism, Hinduism, Sikhism should also be condemned.
Watch ⤵️ @MEAIndia @VikasSwarup pic.twitter.com/pbJpO8xyhj
भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की धर्म को लेकर खोल दी पोल
दिनांक 03 Dec 2020, यूएन द्वारा अपनाएं जा रहे चुनिंदा रुख पर भारत ने यूएन की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र हिन्दुओ, बोद्धो और सिखों के खिलाफ बढती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रहा है ! भारत यूएन को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि शांति की संस्कृति केवल ‘इब्राहीम धर्मो’ के लिए नहीं हो सकती है, बाकी धर्मों को लेकर भी उसी तरह आवाज़ उठानी चाहिए ! भारत के तरफ से आशीष शर्मा ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह से सहमत है कि यहूदियों, इस्लाम और ईसाई विरोधी कृत्यों की निंदा करने की आवश्यकता है और भारत इन घटनाओं की कड़ी आलोचना करता है लेकिन इस महत्वपूर्ण मामलो में यूएन केवल तीन इब्राहिमी धर्मो के बारे में बात करता जबकि आज की दुनिया में ‘शांति की संस्कृति’ पर ‘चिंताजनक चलन’ देखने को मिला है !
भारत ने आगे कहा कि यूएन जैसी संस्था हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ बढती नफरत और हिंसा को पहचानने में असफल रहा है और जब तक चुनिंदा रुख बरकरार है दुनिया में शांति की संस्कृति वास्तव में फल-फूल नहीं शक्ति ! भारत ने यूएन को अमेरिकी राजनीतिक शास्त्री की ‘सभ्यताओं का टकराव’, अफगान में कट्टरपंथियों द्वारा बुद्ध प्रतिमा तोड़ना, गुरूद्वारे पर बम बारी करना, हिंदू और बुद्ध मंदिरों पर हमले करना और कई देशों में अल्पसंख्यक धर्मों के सफाए के बारे में बताया है ! शर्मा ने भारत के अध्यात्मिक प्रतिभा स्वामी विवेकानंद का भी जिक्र किया ! [3]
संदर्भ
[1] जोर्ग सोरोस लोकतांत्रिक दुनिया के लिए खतरा