US Working With India Against China Very Fast Till Date. See 3 recently Step or agreements
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America Taking three Action In Favour of India Against China. |
केस १ : अमेरिका मे चीन का होस्टन वाणिज्य दूतावास बंद
दिनांक 22 Jul 2020, को अमेरिका के चीन से मात्र 72 घंटे मे ह्यूस्टन मे अपना वाणिज्य दूतावास बंद करने को कहा है जिसको चीन के ग्लोबल टाइम्स ने ‘एक पागल कदम कहा’ ! अमेरिका मे मीडिया ने एक दिन पहले ही रिपोर्ट दी थी की चीनी दूतावास के कर्मचारी आगन मे दस्तावेज़ जला रहे थे ! अमेरिका ने कहा की “हमने अमेरिका की बौद्धिक सम्पदा और अमेरिकियों की निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए वाणिज्य दूतावास ह्यूस्टन को बंद करने का निर्देश दिया है !”
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Case 1 : An image appearing to show documents being burned in the courtyard of China's Houston consulate. Photo Via FT.com |
अमेरिका की ख़ुफ़िया सीनेट समीति के कार्यवाही अध्यक्ष ‘मार्को रुबियो’ ने बताया की “चीन का ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास एक विशाल जासूसी केंद्र है, इसे बंद करने के लिए मजबूर करना लंबे समय से अतिदेय है !”
अमेरिका के सबसे ताकतवर विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा की “चीनी कमुनिस्ट पार्टी हर जगह स्वतंत्रता के लिए खतरा थी और यह की चीन की आईपी चोरी से यूरोप और अमेरिका मे सैकड़ो हजारो नौकरियों का खर्च हुआ !”
अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा की “चीन ने अमेरिकी सरकारी अधिकारियो और अमेरिकी नागरिको के खिलाफ पुरे सयुक्त राज्य मे बड़े पैमाने पर अवेध जासूसी और प्रभाव संचालन मे वर्षों से लगा हुआ था !”
केस २ : अमेरिका ने घोषणा करदी भारत से साथ UAV विकशित करेंगे
दिनांक 22 Jul 2020, अमेरिका की पेंटागन की एक शीर्ष अधिकारी ने मीडिया को बताया की “अमेरिका और भारत मानव रहित हवाई वहां के लिए सह-विकाश कार्यक्रम पर बातचीत कर रहे है ! अमेरिका वायुसेना के अनुसंधान प्रयोगशालाओ ने यूएवी के विकाश के लिए एक भारतीय स्टार्टअप कंपनी के साथ समजौता किया है ! अमेरिका और भारत एक रोमांचक प्रोजेक्ट को हाईलाइट करना चाहते है जो की एक सह विकाश कार्यक्रम होगा !" इसमे चार संस्था काम करेंगी
१- अमेरिकन वायुसेना अनुसंधान प्रयोगशाला
२- भारतीय वायुसेना
३- भारत के रक्षा अनुसंधान और विकाश संघठन (DRDO)
४- एक स्टार्टअप कंपनी भारत की
नोट : अमेरिका की पेंटागन के अधिकारी का बोलना मतलब सीधा बातचीत आखरी लेवल पर है !
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These Indian Who Lived in America Working For His HomeLand India Left to Right : Ami Bera, Raja Kirshnamoorthi, RO Khanna, Pramila Jayapal (Photo Credit : Indiaabroad) |
केस ३ : दो भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक नेताओ ने प्रेसिडेंट को दी ताकत
दिनांक 21 Jul 2020, अमेरिका प्रतिनिधि सभा मे भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता का नारा देते हुए NDAA संसोधन पारित कर दिया ! अमेरिका मे दो पार्टी है सिर्फ एक रिपब्लिकन और दूसरी डेमोक्रेटिक जो की एक दूसरे के दुर्र विरोधी है ! अमेरिका के हित को देखते हुए विरोधी पार्टी ‘डेमोक्रेटिक’ की कार्यकर्ता ‘अमी बेरा’ और ‘राजा कृष्णमूर्ति’ ( दोनों भारतीय भी है) ने इस बिल को आगे बढाया जिसको निर्विरोध पास कर दिया गया जिससे अमेरिका के प्रेसिडेंट ‘डोनाल्ड ट्रंप’ की ताकत और बढेगी और पास करने के बाद कहा गया की “चीन के पीपुल्स रिपब्लिक के आसपास और विवादित प्रदेशो मे विस्तार और आक्रामकता जैसे की वास्तविक नियत्रण रेखा, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप समूह, महत्पूर्ण चिंता का विषय है !"
नेता चाबत ने कहा की “जिस तरह ‘चीन ने भारत के खिलाफ गल्वान घाटी मे आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों मे जो मुखरता का नारा दिया है जिसकी वजह से २० भारतीय सैनिक शहीद हुए थे !’ मै हमारे द्विपक्षी संबंधो का एक मजबूत समर्थक हूँ ! मुझे इसबात पर गर्व है की एशिया, दा पैस्फिक के उपसमिति के चेयरमेन कांग्रेस अमी बेर ने इस महत्वपूर्ण संशोधन को द्विदलीय तरीके से मंजिल तक पहुचाया !”
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ध्यान देने वाली बात यहाँ यह है
राष्ट्र हिट अमेरिका के लिए ये बिल बिरोधी पार्टी (डेमोक्रेटिक) ने रखा चीन के खिलाफ लेकिन किसी एक ने भी इसका विरोध नहीं किया जबकि प्रेसिडेंट रिपब्लिकन पार्टी से आते है ! इसका मतलब पुरे अमेरिका की जनता ने इसका विरोध नहीं किया जो खुलकर भारत और अन्य देशो के साथ खड़ा हुआ है ! इन्ही डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओ ने एक और मुद्दा उठाया और उसपर बहस चल रही की चीन १९६२ मे जितनी जमीन कब्ज़ा किया था उससे ज्यादा आज अपना हक बता रहा !
राष्ट्र हिट अमेरिका के लिए ये बिल बिरोधी पार्टी (डेमोक्रेटिक) ने रखा चीन के खिलाफ लेकिन किसी एक ने भी इसका विरोध नहीं किया जबकि प्रेसिडेंट रिपब्लिकन पार्टी से आते है ! इसका मतलब पुरे अमेरिका की जनता ने इसका विरोध नहीं किया जो खुलकर भारत और अन्य देशो के साथ खड़ा हुआ है ! इन्ही डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओ ने एक और मुद्दा उठाया और उसपर बहस चल रही की चीन १९६२ मे जितनी जमीन कब्ज़ा किया था उससे ज्यादा आज अपना हक बता रहा !
ये विदेश अमेरिका मे रहने वाला नेता (जो पहले से भारतीय थे) भारत के प्रति कितना लगाओ है लेकिन भारत के रहने वालो के समझ नहीं आ रहा !
लेकिन भारत मे कांग्रेस अपने आपको नेता विपक्ष मानता है फिर भी
१- चीन के खिलाफ बिल का विरोध करना,
२- चीन से ‘राजीव गाँधी फाउंडेशन’ मे पैसे लेना
३- चीन के साथ राहुल गाँधी गुप्त मुलाकात करना
४- लड़ाई के वक्त प्रधानमंत्री से सवाल करना
१- चीन के खिलाफ बिल का विरोध करना,
२- चीन से ‘राजीव गाँधी फाउंडेशन’ मे पैसे लेना
३- चीन के साथ राहुल गाँधी गुप्त मुलाकात करना
४- लड़ाई के वक्त प्रधानमंत्री से सवाल करना
५- सरकार का अमेरिका की तरह सपोर्ट करने की बजाये भारत की सरकार सेना पर ही सवाल करती जा रही पिछले महीनो से !
सवाल १ : क्या देश को राष्ट्रप्रेम मे बिना सवाल किये सरकार का समर्थन करना चाहिए की नहीं ?
सवाल २ : क्या देश के समर्थन मे विरोधी (कमुनिस्ट, कांग्रेस) को सवाल करना चाहिए ?
सवाल ३ : क्या देश की पार्टियां राष्ट्र हिट के मुद्दे पर भी एक नहीं होना चाहिए सिर्फ और सिर्फ राजनीती करेंगी ?
सवाल ४ : क्या भारत की विपक्ष की पार्टियां अमेरिका से नहीं सीखना चाहिए ?