New Education Policy 2020 Part 1
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New Education Policy 2020 |
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० की साधारण जानकारी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) एक नई नीति जिसको भारत सरकार ने भारत के लोगो के बीच शिक्षा को बढावा देने के लिए तैयार किया है ! यह नीति ग्रामीण और शहरी दोनों की शिक्षा को कालेजो मे शामिल करती है ! भारत की पहली शिक्षा नीति सन 1968 मे प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा बनाई गई, फिर दूसरी सन 1986 मे प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा बनाई गई ! अब 34 साल बाद भारत की शिक्षा नीति को भारत की आम जनमानस के हिसाब से बनाया गया है ! [1]
सन Jan 2015 से भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति बनाने के लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतो, 6600 ब्लोक्स, 6000 शहरी स्थानीय निकाय और 676 जिलो से 2.0 लाख सुझावो को शामिल करने के बाद एक अभूतपूर्व प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है ! भारत सरकार ने दो कमेटी बनाई गई थी उनके भी सुझाव इसमे शामिल किये गए !
- कमेटी फॉर एवोल्युसं ऑफ दा एजूकेशन पोलिसी : सन May 2016 मे इस समीति को बनाया गया था जिसके अध्यक्ष स्वर्गीय श्री टीएसआर सुब्रमनियन थे !
- कमेटी फॉर दा ड्राफ्ट नेशनल एजुकेशन पोलिसी : सन Jun 2017 मे इस समीति को बनाया गया जिसके अध्यक्ष वैज्ञानिक, डॉक्टर और पद्मविभूषण के कस्तूरीरंगन थे ! इन्हों ने दिनांक 31 May 2019 को ‘एचआरडी मिनिस्ट्री’ को मसौदा सौप दिया था ! [2]
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Docter K KasturiRanjan, Ex ISRO Head (Photo Credit : The Hindu) |
डाक्टर के कस्तूरीरंगन के बारे मे
डाक्टर के कस्तूरीरंगन ने सन 1994 से 2004 तक इसरो का नेतृत्व किया था ! वर्तमान मे वह राजस्थान के केंद्रीय विश्वविध्यालय और NIIT विश्वविध्यालय के चांसलर है ! यह जवाहरलाल नेहरु के पूर्व कुलपति भी रहे है ! इनको भारत सरकार ने तीन पुरस्कार ( सन 1982 मे पद्मा श्री, सन 1992 मे पद्मभूषण और सन 2000 मे पद्मविभूषण ) से नवाजा जा चूका है ! [3]
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New Education Policy 2020, School Education System |
क्या क्या परिवर्तन किये गए
1- विद्यालय शिक्षा की संरचना जिससे छोटे बच्चो पर जोर नहीं पड़ेगा
पहले भारत मे बच्चो को 10+2 वाला सिस्टम लागु था जिसमे
- ‘नीव का चरण’ : २ साल से 6 साल तक (प्लेग्रुप, नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जिसमे बच्चो को खेल-कूद सिखाया जाता था)
- ‘मध्य चरण’ : 6 साल से 16 साल तक (कक्षा एक से दस तक जिसमे बच्चो को विज्ञानं, गणित, कला, सामाजिक विज्ञानं और मानविकी मे अनुभव)
- ‘द्वितीय चरण’ : 16 साल से 18 साल (कक्षा ग्यारह से बारह तक जिसमे बहु-विषयक अध्ययन, अधिक महत्वपूर्ण विचारक, लचीलापन और छात्र के पसंद के विषयो)
अब इसे बदल कर बच्चो के लोए 5+3+3+4 वाला सिस्टम लागु किया जायेगा जिसमे
- ‘नीव के चरण’ : दो साल अतिरिक्त करके 3 साल से 8 साल तक (प्लेग्रुप, नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी, कक्षा एक और दो)
- ‘प्रारंभिक चरण’ : ये चरण नया जोड़ा है जिसमे 8 साल से 11 साल तक (कक्षा तीन से पांच तक जिसमे खेलने, खोज, गतिविधि और इंटरैक्टिव पर आधारित)
- ‘मध्य चारण’ : इस चरण को घटाया गया है जिसमे 11 साल से 14 साल तक (कक्षा छह से आठ तक जिसमे बच्चो को विज्ञानं, गणित, कला, सामाजिक विज्ञानं और मानविकी मे अनुभव)
- ‘द्वितीय चरण’ : इस चरण को बढाया गया जिसमे 14 साल से 18 साल तक (कक्षा नऊ से बारह तक जिसमे बहु-विषयक अध्ययन, अधिक महत्वपूर्ण विचारक, लचीलापन और छात्र के पसंद के विषयो) [4]-[4->Point 4.1, 4.2,4.4]
2- विद्यालय शिक्षा मे क्षेत्रीय भाषा
नए सिस्टम मे कक्षा पांच तक कोई दूसरी भाषा बच्चो के ऊपर जबरदस्ती नहीं सिखाई जायेगी और उन्हें उनकी क्षेत्रीय, मातृ और स्थानीय भाषा मे ही पढाया जायेगा ! जैसे की हमलोग देखते है की आजकल बच्चो को इंग्लिश रटाने की कोशिश की जाती थी ! राज्यों द्वारा तीन भाषाओ के लिए भी समझौते कर सकते है जो भारत के संविधान मे भी है ! [4->Point 4.9, 4.10,4.11]
3- 10 दिन बिना बैग के स्कूल आना
नए सिस्टम मे 10 दिन कक्षा छह से आठ तक (उम्र ग्यारह से चौदह तक) बिना बैग आप स्कूल मे आ सकते है जिसमे आपको नई कौशल सिखने को मिलेगा ! वह यह की आपको स्थानीय व्यावसायिक विशेषज्ञ से इन्टर्न करना होगा जैसे माली, बढ़ईं, मिटटी के बर्तन बनाने वाले और कलाकार ! [2] जो पहले के सिस्टम मे नहीं था !
4- बहुविषयक अध्ययन का विकल्प
नए सिस्टम मे आपको कक्षा नऊ से बारह तक (उम्र चौदह से अट्ठारह तक) आपको बहु-विषयक अध्ययन करने का भी विकल्प मिलेगा ! यहाँ आपको फिजिक्स के साथ आर्ट भी पड़ सकते है जिसका जिसमे मन लगे या दिलचास्पियों हो ! इस तरह के विकल्प अमेरिका जैसी देश मे लागु जहाँ कोई स्ट्रीम नहीं है !
5- विदेशी भाषाओ का आगे जोड़ा जायेगा
नए सिस्टम मे आपको कक्षा नऊ से बारह तक (उम्र चौदह से अट्ठारह तक) आपको दूसरे देश की भाषा भी सिखाई जायेगी जिसमे खासकर जर्मन, जापानीस, कोरियन, रुसी, फ्रेंच और अन्य ! [4->Point 4.20]
6- लुप्त होती भाषा को बढावा
नए सिस्टम से राज्य की लुप्त होती भाषा मे भी बच्चो और शिक्षक को भी दुनिया के सामने भारतीय भाषाओ को फ़ैलाने मे मदद मिलेगी ! आज के समय एक भाषा पर कोई भी देश नहीं रह सकता हर किसी देश की जरुरत हो चुकी है एक से ज्यादा भाषा आने की ! संस्कृति सर्वधन के साथ साथ राष्ट्रीय एकीकरण के प्रयोजनों के लिए, सभी युवा भारतीयों को अपने देश की भाषाए (तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, ओडिया, परसियन, पली, प्रक्रित अन्य बहुत) की समृद्ध और विशाल खजाने के बारे मे पता होना चाहिए ! भारत की शास्त्रीय भाषा (संस्कृत) को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है ! [4-> Point 4.14, 4.15, 4.16, 4.17, 4.18]
संदर्भ