Muslim controversy on film 'Muhammad The Messenger of God'
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Irani Film - Muhammad : The Messenger Of God (Photo Credit :Variety.com) |
फिल्म को किसने और कब बनाई
सन 2015 को सिया बहुल मुस्लिम राष्ट्र ‘ईरान’ ने एक फिल्म ‘मोहमम्द : दा मेस्सेंजर ऑफ गोड’ बनाई ! दिनांक 12 Feb 2015 को उस फिल्म को पर्सियन, इंग्लिश भाषा मे लॉन्च की गई ! एस फिल्म को निर्देशक ‘माजिद माजिदी’ और सह-लेखक ‘कम्बुजिया पर्तोवी’ ने सन 2007 से शुरुवात की और इसके कुछ द्रश्य तेहरान और साउथ अफ्रीका मे दर्शाए गए है ! इस फिल्म मे ‘पैगंबर मुहम्मद’ की शुरुवाती जीवन के बारे मे बताया गया है ! इसका म्यूजिक भारत के ‘ए आर रहमान’ ने दिया है !
दिनांक 21 Jul 2020 आज ही के दिन को ईरानी सिया मुस्लिम ‘माजिद माजिदी’ का भारत मे लॉन्च करने जा रहे है ! सन 2015 मे इस फिल्म के निर्देशक ‘माजिद माजिदी’ को ‘कामेरिमेज इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ मे ‘आउटस्टेंडिंग सिनेमाटिक डुओ अवार्ड’ दिया गया था !
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Muslim Organisation Meeting Minister Anil Deshmukh (Photo Credit : Twitter) |
दिनांक 12 Jul 2020 को भारत मे एक सुन्नी मुस्लिम संघठन ‘रजा अकादमी’ ने इसके विरोध मे एक लैटर लिखा जिसमे कहा गया की “रजा अकादमी मांग करता है की इस फिल्म के वितरण से रोके !”
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Raza Academy Send Letter To Maharashtra Government |
दिनांक 16 Jul 2020 को महाराष्ट्र के मंत्री अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र मे फिल्म को रोकने का निर्णय लिया सिर्फ रजा अकादमी के विरोध पर !
Muhammad The Messenger Of God (Photo Credit : Twitter) |
फिल्म पर दोहरा चरित्र क्यों
दिनांक 17 Jul 2020 को उर्दू न्यूजपेपर के एडिटर ने सवाल उठाये है की “क्या फिल्म में ऐतिहासिक गलत बयानी या गलत व्याख्या है? किसी को पहले फिल्म पर आपत्ति जताने के लिए देखना चाहिए। फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, विशेषज्ञों का एक पैनल फिल्म पर अपनी राय दे सकता है और आपत्तिजनक होने पर दृश्यों को हटा सकता है। क्यों स्पैनर हो।" पहिया ?”
इस्लाम के एक विद्वान ‘अब्दुल कादर मुकदम’ ने सवाल किया की “अगर फिल्म पैगंबर के जीवन का वर्णन करती है तो एक आपत्ति क्यों उठाई गई। बहुत से मुसलमानों को पैगंबर मुहम्मद के जीवन के बारे में पता नहीं है, जो प्रेरणादायक है। 7 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच, अरबों ने सांस्कृतिक, आर्थिक और वैज्ञानिक रूप से प्रगति की, क्योंकि वे पैगंबर और उनकी शिक्षाओं से प्रेरित थे। इस्लाम मूर्ति पूजा का विरोध करता है, लेकिन कोई आपत्ति नहीं है। पैगंबर के जीवन के बारे में बात करना या चित्रित करना। वास्तव में, पैगंबर ने कहा था कि जब उन्हें रहस्योद्घाटन नहीं मिल रहा है, तो वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह हैं। हालांकि, कट्टरपंथी ताकतों ने 14 वीं शताब्दी से इस्लाम में प्रवेश किया !”
सेंटर फॉर सोसाइटी एंड सेकुलरिस्म के निर्देशक इरफ़ान ने “फिल्म को बेन पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की आलोचना की ! मैं किसी भी तरह के सेंसरशिप के खिलाफ हूं। आप फिल्म या इसकी सामग्री से असहमत हो सकते हैं। इसलिए, विरोध दर्ज करने के तरीके हैं। आप मुकदमा दर्ज कर सकते हैं, सामग्री पर बहस कर सकते हैं, लोगों को शिक्षित कर सकते हैं या सड़कों पर विरोध कर सकते हैं। फिल्म पर प्रतिबंध लगाना गलत है और ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, तो सलमान रुश्दी की पुस्तक 'सैटेनिक वर्सेज' के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हाल ही में, फिल्म 'पद्मावत' को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। न्यायसंगत हो !”
दिनांक 23 2015, फ्रांस की एक मेग्जिन ने मोहम्मद की फोटो बनाई और उसको छापी ! ईरान वो पहला देश था जिसने उसका फोटो के छापने का विरोध किया था !
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Points To Think (Photo Credit : JodyMichael) |
कुछ सवाल या बिंदु
बिंदु १- सन 2015 मे मुस्लिम राष्ट्र ‘ईरान’ ने पहले ‘पैगंबर मुहम्मद’ की फोटो का विरोध किया लेकिन क्यों उसी साल ईरान ‘पैगंबर मुहम्मद’ के ऊपर फिल्म बनाई जिसमे ईरान की सरकार का पैसा लगा ?
बिंदु २- भारत के मुस्लमान ‘ईरान’ के मुस्लमान मे कौन सच्चा मुस्लमान है ? क्युकी अगर ईरान की बात माने तो यहाँ के मुस्लमान गलत होंगे ! अगर यहाँ के मुस्लमान की बात माने तो ईरान के ! जबकि ईरान मे इस्लाम 7th सदी AD मे आया था लेकिन भारत मे 12th से आया था !
बिंदु ३- इस दुनिया मे मुसलमानों की छवि खराब हो रही ( जिसको अमेरिका से लेकर अन्य देशो ने मुस्लिम कट्टरवादियो पर बेन करने, वीसा रद्द करने जैसे काम किये है ) ! क्या ईरान के सिया मुस्लमान दुनिया को बताना चाहते है की हम सुन्नी मुस्लमान नहीं या हम वो नहीं जो आप समझ रहे ?
बिंदु ४- क्या ईरान ने दुनिया को ये बताने की कोशिश कर रहे (इस मूवी के मध्यम से) की हम सिया है जितनी जत्तियां की है वो हमने नहीं की बल्कि अन्य लोगो ने की ? साथ मे ये भी कोशिश की मुस्लमान होने के नाते कहीं सुन्नी मुसलमानों को बुरा ना दिखाया जाये जो पुरे दुनिया मुसलमानों की घृणा वाले काम की वजह से विरोध कर रही !
बिंदु ५- घृणा (मारना काटना, बम फोडना, डेमोक्रेसी पर विश्वास ना करना और हमारा धर्म ही प्रधान के लावा कुछ और नहीं) वाले काम की वजह से मुसलमानों को दुनिया मे विरोध होना स्टार्ट हुआ जो पहले से मुस्लिम राष्ट्रों मे आपस मे लड़ना, काटना, मारना लगा होने के बाद कहीं रूस, इस्राएल, अमेरिका, ब्रिटेन, अन्य देशो की शक्तियां खिलाफ खड़ी हो गई !
बिंदु ६- सन 2015 मे विश्व मे जब फिल्म प्रकाशित हुई थी तब इसका सुन्नी मुस्लिम देशो द्वारा इतना विरोध नहीं किया लेकिन आज भारत मे सुन्नी संघठन (देओबंद, बरेलवी, रजा अकादमी, अन्य) को दिक्कत अरबी मुस्लामो से ज्यादा क्यों है ?
बिंदु ७- वर्ल्ड वार एक के बाद ब्रिटेन द्वारा ‘ओटोमन एम्पायर’ को तोडा (या खलीफा की मान्यता रद्द) गया था ! लेकिन भारत के सुन्नी मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालने के ‘खिलाफत मोवेमेंट’ चलाई थी जिसको ‘सरदार पटेल ने मना किया था ! भारत के मुसलमानों ने भारत मे आन्दोलन चालू कर दिया था ! उस समय भारत मे ब्रिटेन की सरकार से दिक्कत नहीं थी उसको चिंता की तुर्क के सुल्तान की ! कहना ये चाहता की आज तक भारत के मुस्लमान जो कन्वर्टेड है उसको वहां से क्या लेना देना है ? जबकि भारत के मुस्लमानो के माता पिता, दादा दादी या पर दादा दादी कभी हिंदू ही थे !
बिंदु ८- भारत के मुस्लमान अगर ये मानते हिंदू उनके वंसज नहीं तो कहे मेरे फॅमिली अरब से आई थी और अगर वो हिंदू उनके वंसज है तो अरब के लिए इतना प्यार क्यों ?
बिंदु ९- अगर इस्लाम के पीछे ऐसा क्या है जो मुस्लमान फिल्म को भारत नहीं आने देना चाहते ! क्या छुपा रहे ?
बिंदु १०- क्या महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार और सुन्नी मुस्लमान भारत के संविधान को नहीं मानता ? अगर मानता तो उसको सेंसर बोर्ड को देखने दिया जाता वो उसपर निर्णय लेते लेकिन मुसलमानों की कथनी और करनी यही पूरा विश्व (अन्य धर्म) आज मुसलमानों के खिलाफ खड़ा है !
नोट : किसी धर्म के खिलाफ नहीं लेकिन लोकतंत्र का अधिकार है सवाल पूछना ! मेरी वेबसाइट का किसी भी धर्म को दुःख पहुचना नहीं लेकिन देश और दुनिया मे जो हो रहा उसपर एक मंच पर लाना !