How Opposite Thinker Circulate Fake News And Target Right Wing Thinker
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Dehradun Station Sanskrit Controversy |
उत्तराखंड रेलवे संस्कृत विवाद
दिनांक 13 Jul 2020 07:17AM, बीजेपी के नेता या रास्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने ट्विट्टर अकाउंट से दो फोटो लगाकर लिखा सिर्फ “संस्कृत !” और फोटो मे देहरादून रेलवे स्टेशन के प्लेटफोर्म पर शाइनबोर्ड पर संस्कृत से लिखा गया था !
दिनांक 19 Jan 2020 02:32AM, रेलवे अधिकारियो ने राज्य के प्लेटफोर्म पर उर्दू भाषा को संस्कृत के साथ बदलने का फैसला लिया था जिसमे जिन साइनबोर्ड पर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू मे लिखा है उसको हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत मे लिखे जायेंगे और इसमे ये भी कहा गया की पहले उत्तराखंड उत्तरप्रदेश का हिस्सा था जिसमे राज्य की दूसरी भाषा उर्दू थी लेकिन अब उत्तराखंड की दूसरी भाषा संस्कृत है ! लेकिन रेलवे ने चौथी भाषा मे लिखने के लिए उसी समय बोला था !
दिनांक Jan 2010, उत्तराखंड राज्य की बीजेपी सरकार ने अपनी भाषा को इसतरह रखा जिसमे
१- हिंदी (जो राज्य की प्रमुख बोली जाने वाली भाषा)
२- संस्कृत (जो राज्य मे प्रमुख स्थानों मे ग्रंथो मे पढाई जाने वाली भाषा)
३- गढवाली (जो राज्य के कुछ हिस्से खासकर उत्तर-पश्चिम गढवाल क्षेत्र मे बोली जाती)
४- कुमाउनी (जो राज्य के पहाड़ी क्षेत्र मे बोली जाने वाली भाषा)
५- जौनसारी (जो भारत के संविधान के अनुसार एक अनुसूचित जनजाति मे बोली जाने वाली भाषा)
६- उर्दू (जो सिर्फ 5.88% बोली जाने वाली भाषा)
दिनांक Sep 2014, उत्तरप्रदेश राज्य की अखिलेश सरकार ने उर्दू को दूसरी अधिकारिक भाषा घोषित करदी
१- हिंदी (जो राज्य मे 80.16% से ज्यादा बोली जाने वाली भाषा )
२- उद्रू (जो राज्य मे सिर्फ 5.4% से ज्यादा बोली जाने वाली भाषा)
जबकि भोजपुरी राज्य मे 10.93% से ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है !
दिनांक 07 Feb 2020, एक महीने बाद रेलवे अधिकारी ‘दीपक कुमार’ ने एक स्पस्टीकरण पत्र जारी किया जिसमे कहा गया की “भारतीय रेलवे ने किसी भी स्टेसन मे उर्दू भाषा को हटाया नहीं है और ना ही ऐसा करने का कोई इरादा है !” रेलवे ने दबाव मे संस्कृत के ऊपर एक स्टिकर लगाकर उर्दू मे कर दिया !
उसके बाद विरोधी सोच के लोगो ने संबित पात्रा को बदनाम करने चालू कर दिए जबकि संबित पात्रा ने कुछ नहीं लिखा था ! निचे कुछ उदहारण
Congress Samarthak Shivam Verma Facebook Post |
दिनांक 15 Jul 2020, फसबूक के एक कांग्रेस समर्थक यूजर ‘शिवम वर्मा’ ने अपनी पोस्ट मे लिखा की
“देहरादून स्टेशन से उर्दू का नाम हटा दिया गया है।
हालांकि ये संबित पात्रा का झूठ था।
बढ़िया एडिट किया था तो यकीन हो गया।
इंडियन रेलवे ने इस बात का खंडन किया है।“
झूठ : जबकि संबित पात्रा ने कुछ लिखा नहीं सिर्फ दो फोटो शेयर करके संस्कृत लिखा बस ! ये विद्द्वान शिवम वर्मा ने संबित को झूठा बनाना चालू कर दिया !
दिनांक 15 Jul 2020, फसबूक मे एक और ऑनलाइन पोर्टल ‘डेमोक्रेटिक वायर’ एक विडियो जारी करके बताने की कोशिश की संबित पात्रा झूठ बोल रहे है ! इनका एक रिपोर्टर देहरादून के प्लेटफार्म से खड़े होकर बताने की कोशिश कर रहे ये देखिये झूठ है लेकिन उसी विडियो मे आपको दिखेगा साइनबोर्ड के ऊपर एक स्टिकर लगा हुआ है !
झूठ : जबकि संबित पात्रा ने कुछ लिखा नहीं सिर्फ दो फोटो और शेयर करके संस्कृत लिखा बस ! विडियो मे खुद पीछे साफ़ साफ़ दिख रहा की बोर्ड मे एक स्टिकर लगाया गया है !
रिपोर्टर पर ही सवाल : विडियो के 0:27 Sec पर रिपोर्टर ने बोला संस्कृति जबकि संस्कृत और संस्कृति दोनों मे फर्क होता ! आज के समय एक माइक लेके यूट्यूब खोलकर हर कोई मीडिया रिपोर्टर बन चूका है !
घर घर रिपोर्टर घर घर एक्सपर्ट ! सावधान रहे ! फर्जी मीडिया यूट्यूब चैनलों से !
क्या आप बिना कुछ कहे ही दूसरों की बात समझ लेते है फिर तो आपसे बड़ा विद्वान नहीं !
क्या आप बिना कुछ कहे ही दूसरों की बात समझ लेते है फिर तो आपसे बड़ा विद्वान नहीं !