The Scroll Fake News Propaganda Agency
➨ केस १ : वाराणसी एक दलित महिला को भूखा बताकर पेश किया
दिनांक 08 Jun 2020 को ‘दा स्क्रोल’ की एक फर्जी पत्रकार ‘सुप्रिया शर्मा’ ने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था ‘प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गांव में लोग बंद के दौरान भूखे रह गए !’ उसमे आगे बताने की कोशिश कर रही थी की “एक माँ माला जिनको तालाबंदी के दौरान काम नहीं और वो अपने छह बच्चो के साथ भूखी और कभी कभी तो सिर्फ चाय और रोटी के साथ सोती थी !”
लेकिन जैसे इस दलित महिला माला को पता चला की इस पत्रकार ने उसके लिए गलत छाप दिया तो उस दलित महिला ने ‘दा स्क्रोल’ के खिलाफ FIR लिखवा दी और बताया की
“मेरी कहानी को पत्रकार ने गलत तरीके से और गलत तथ्यों के साथ पेश किया गया जैसे की वह अत्यधिक गरीबी और भूख का सामना कर रही है !”जो वास्तव में बिलकुल गलत था ! इस दलित महिला ने अपनी सिकायत में बताया की
“वह नगर निगम, वाराणसी में सफाई कर्मचारी के रूप में काम कर रही है और उसको माँ भी नगर निगम में कार्यरत थी जिसकी पेंसन आ रही है ! पत्रकार ने मुझसे कलाबंदी के बारे में पूछा की बंदी के दौरान उसे कोई परेशानी हुई !”
Article Cutting From Scroll.in By Supriya Sharma (Fake News Promoters) |
दलित माँ ने बताया की
“‘दा स्क्रोल’ की पत्रकार ‘सुप्रिया शर्मा’ के सभी दावे झूटे है जिसमे मुझे घरेलु काम करने वाला बताया गया है और साथ में एक कप चाय और चपाती खाकर सो गई ! ‘सुप्रिया शर्मा’ ने मुझे और दलित समझ को मानसिक रूप से आहात किया है और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को नुकशान पहुचाया है !"
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Page 2 Of FIR by Twitter Bench&Bar |
‘दा स्क्रोल’ और ‘सुप्रिया शर्मा’ के खिलाफ धारा 269, 501, Dalit SC/ST Act 1989 Section 3 के तहत Fir दर्ज करली गई है !
सबूत : सुप्रिया शर्मा द्वारा दलित के लिए गलत स्टोरी
सबूत : सुप्रिया शर्मा द्वारा दलित के लिए गलत स्टोरी
सबूत : सुप्रिया पर एफआईआर
➨ केस २ : मोदी सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेन का पैसा वसूल रही
दिनांक 12 Jun 2020 को ‘दा स्क्रोल’ ने अपने आर्टिकल का शीर्षक में लिखा की “श्रमिक गाड़ियों को सब्सिडी देने से दूर, मोदी सरकार वास्तव में उनके लिए अतिरिक्त शुल्क ले रही है !”
‘दा स्क्रोल’ के जनाब लिखते है की
‘दा स्क्रोल’ के जनाब लिखते है की
“ट्रेनों में ८५% सब्सिडरी प्रदान की जाती है लेकिन यह साबित नहीं किया जा सकता है क्युकी यह अकडा ऑडिट नहीं किया जा सकता है और यह स्पष्ट नहीं है की किस आधार पर इस सब्सिडरी की गणना की गई !”
Scroll Article Cutting |
‘दा स्क्रोल’ द्वारा लिखे इस लेख में किये गए बड़े बड़े दावे सच्चाई से परे है ! ये जो साबित करना चाहते है सारे तथ्य गलत है ! ना किसी मीडिया, ना कोई विरोधी सरकार और ना कोई जनता ने ऐसे एक भी दिक्कत उठाई ! ये सिर्फ एक प्रोपगंडा चलाया जा रहा बस ! कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्व-संज्ञान लिया था जिसमे देश के बड़े बड़े नेता, वकील और विरोधी भी थे उसमे भी सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया था सरकार अपना काम कर रही है और ८५% केंद्र अपने तरफ से और १५% राज्य अपनी तरफ से देगा जो मजदूरो से नहीं लिया जायेगा ! रस्ते का खाना पीना की व्यवस्था रेलवे की ही और रेलवे स्टेसन तक पहुचाने की, उनकी लिस्ट बनाने की, और कितनी ट्रेन चाहिए राज्य सरकारों की थी !
सबूत : स्क्रोल का दूसरा आर्टिकल
नोट :
‘दा स्क्रोल’ को दो कट्टर विदेशी लोगो द्वारा फंड दिया गया है जिसमे एक ‘गोर्ज सोरोस’ वो व्यक्ति है ( जिसने हालही में पूरी दुनिया के रास्ट्रवादी नेता नरेन्द्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के खिलाफ $१ बिलियन से लड़ने का आवाहन किया था ) और दूसरे है ‘पिएर्रे ओमिद्यर’ जो इराक के रहने वाले थे अब अमेरिका के रहने वाले थे ! सोरोस के द्वारा भारत में बहुत से NGOs को फंड दिया गया है उनमे से वो भी जो शाहीन बाग में सामिल थे ! हर्षा मंदर जो जार्ज सोरोस के 'ओपन सोसाइटी फाउंडेशन' में कार्यकर्ता हैसबूत : के तौर पर यहाँ पढ़े
सबूत : हर्ष मंदर सोरोस के कार्यकर्ता है
Harsh Mandar is a member of George Soros Foundation in India. |
➨ सवाल का घेरा
सवाल १ :- ‘दा स्क्रोल’ अगर सुप्रिया शर्मा का लेखा गलत नहीं मानता तो ऑडियो और विडियो कुछ तो बाहर करे ! क्यों नहीं करता ??
सवाल २ :- ‘दा स्क्रोल’ के आर्टिकल को देख लगता है की इसमे कुछ लोग टारगेट किये जाते है जैसे हमेशा प्रधान मंत्री मोदी इनके कटघरे में रहते क्यों ??
सवाल ३ :- ‘दा स्क्रोल’ झूटी खबर छापने का आदि हो चूका है ! क्या उसको सच्चाई से कोई लेना देना नहीं ??
सवाल ४ :- ‘दा स्क्रोल’ के दूसरे केस में भी सरकार के दावों को झुटा बनाने की कोशिश कर रहे क्यों ?? जबकि सुप्रीम कोर्ट इसके ऊपर खुद संज्ञान ले चूका जिसमे कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु, इंदिरा जयसिंग, संजय पारेख जैसे दूर विरोधी थे !
सवाल ५ :- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर जनता तक को बता चुकी किराया श्रमिकों को नहीं देना ना ही विरोधी मुख्या मंत्री का विरोध सुना ना ही सुप्रीम कोर्ट का विरोध फिरभी एक फर्जी न्यूज वालो को मोदी सरकार पर ही सवाल उठाने है क्यों ??
सवाल ६- उल्टा जब महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और पुंजाब में मजदूरो से झूट और पैसे वसूले गए क्या इन जैसे मीडिया पत्रकारों ने आवाज उठाई ??