<b>मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और कार्यकर्ता की साजिश - Must Read</b> - VerifiedNewz.us

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May 29, 2020

मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और कार्यकर्ता की साजिश - Must Read

सुप्रीम कोर्ट के पीछे कांग्रेस और कमुनिस्ट 



 कौन किसकी तरफ से 
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता - केंद्र सरकार की तरफ से
पी नरसिम्हा - यूपी के वकील 
मनीष कुमार - बिहार के वकील

मनीष सिंधवी - राजस्थान के वकील
संजय पारीख - वरिष्ठ वकील के रूप में, मेघा पाटकर का वकील 
कपिल सिब्बल - कांग्रेस के नेता और दिल्ली श्रमिक संगठन के वकील
अभिषेक मनु सिंघवी - कांग्रेस के नेता और राजीव सुरजेवाला के वकील
इंदिरा जयसिंह - श्रमिक संघठन की तरफ से

कालीन गोंसाल्वेस - प्रवासी श्रमिक संघठन की तरफ से



 इनके कुछ काम और पदो के बारे में
१- दिनांक 30 Mar 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने 37 वकीलों की वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया था उसमे से कुछ इस प्रकार संजय पारीख और मनीष सिंधवी ! सबूत 

२- दिनांक 16 Mar 2020 को कोरोना के समय राजस्थान कांग्रेस की गहलोत सरकार सीएए (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ केस दायर किया था जिनके वकील यही मनीष सिधवी थे ! सबूत 

३- दिनांक 22 Jan 2020 को केंद्र के द्वारा आर्टिकल 370 हटाये जाने पर यही वकील संजय पारीख और वकील के साथ ये बोलते हुवे सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया की "आर्टिकल 370 को हटाना केंद्र के दायरे के बाहर है !"  सबूत 

४- दिनांक 24 Apr 2020 को कोर्ट ने अर्नब की गिरफ़्तारी मांग रहे वकीलों की अपील को ख़ारिज कर दिया ! जिसमे से कुछ नाम है 'कपिल सिबल' और 'मनीष सिंधवी' ! सबूत 

५- दिनांक 06 Dev 2017 को राम मंदिर केस में मुस्लिम की तरफ से केस लड़ रहे कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ही थे ! जब सुप्रीम कोर्ट में बोले थे बीजेपी के जाल में ना पड़ेसबूत 

६- दिनांक 22 Aug 2017 को ट्रिपल तलाक का केस मुस्लिम की तरफ से लड़ने वाले भी कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ही थे ! सबूत 

७- दिनांक 19 Sep 2018, कांग्रेस एक और वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा भीमा कोरेगांव का केस लड़ा जा रहा था ! जिसको डिफेंड करने में लगे थे जिसमे प्रधान मंत्री मोदी को मारने की प्लानिंग करने वाले का केस भी चल रहा ! इसमे एक बहुत फेमस वकील प्रशांत भूषण भी थे जिन्हों में गिरफ़्तारी के खिलाफ केस डाला था ! सबूत 
भीमा कोरेगांव के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करे 

८- दिनांक 29 May 2012 को कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स सीडी बाहर आ गई थी ! पुरे सोसल मीडिया में सिंघवी की सेक्स सीडी पुरे देश ने देखी थी जिसकी वजह से इनको अपने पदो से इस्तीफा देना पड़ा था ! सबूत 

९- दिनांक 18 jan 2020, आपको देश की बेटी 'निर्भया' का केस तो याद होगा ! उस कमीनों का फांसी से बचाव करने वाली निर्भया की माँ के खिलाफ ये वकील 'इंदिरा जयसिंग' थी ! 2012 में निर्भया के साथ गेंगरेप और हत्या करने वाले को फांसी से बचा रही थी ! निर्भया की माँ ने बोला था की
"वह विश्वास नहीं कर पा रही थीं कि" इंदिरा जयसिंह ने भी ऐसा सुझाव देने की हिम्मत कैसे की। मैंने उनसे कई बार सुप्रीम कोर्ट में मुलाकात की, एक बार उन्होंने मेरा कुशलक्षेम नहीं पूछा और आज वह दोषियों के लिए बोल रही हैं। ऐसे लोग (जयसिंह का जिक्र करते हुए) बलात्कारियों का समर्थन करके आजीविका कमाते हैं, इसलिए बलात्कार की घटनाएं नहीं रुकती हैं"
१०- दिनांक 22 jan 2020, आपको याद होगा एक महिला ने चीएफ़ जस्टिस गोगोई पर फर्जी आरोप लगाये थे जिसके कहा गया था की गोगोई ने मेरे अंग छुए थे ! लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच जिसमे वर्तमान चीएफ़ जस्टिस एसए बोबडे, इंदु महोत्रा और इंदिरा बेनर्जी सामिल थे जिन्हों ने इन-हाउस जाँच में गोगोई पर आरोप में कोई आरोप नहीं पाया और क्लीन चिट् दे दी थी ! 31 वर्षीय एक व्यक्ति ने महिला पर उसे उच्चतम न्यायालय में नौकरी पाने के लिए 50,000 रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। इसमे से कुछ लोगो ( 'लेखक अरुंधति राय', 'वकील प्रशांत भूषण', 'कार्यकर्ता मेघा पाटकर') ने एक प्रस्ताव चीएफ़ जस्टिस के खिलाफ लाए थे ! ये चीएफ़ जस्टिस को डराने की कोशिश कर रहे थे ! इसमे एक केस में वकील इंदिरा जयसिंग ने जस्टिस बोबडे समिति के एक मामले में उनके नाम से यौन उत्पीड़न की शिकायत पर अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट को सही ठहराने के लिए जस्टिस बोबडे कमेटी के इस्तेमाल पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सबूत 1  सबूत  2

११- दिनांक 11 Jul 2019, सीबीआई ने विदेशी फंडिंग मामले में वकील इंदिरा जयसिंग के दोनों घरों मुंबई और दिल्ली में छापे मरे थे ! लॉयर्स कलेक्टिव पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (FCRA) को तोड़ने का आरोप है. जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका लाइसेंस रद्द कर दिया था. इसी गड़बड़ी के सामने आने के बाद सीबीआई ने इस मामले में आनंद ग्रोवर और लॉयर्स कलेक्टिव पर केस दर्ज किया गया था ! जाँच वकील की लेकिन दिक्कत केजरीवाल को बहुत हुई थी ! गृह मंत्रालय की तरफ से आरोप लगाया था कि विदेश से कुछ फंड कलेक्ट किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल HIV/AIDS बिल की मीडिया में वकालत करने के लिए किया गया. इसके पीछे इन्हीं के फाउंडेशन लॉयर्स कलेक्टिव का नाम सामने आया था ! इसके अलावा ये भी बात सामने आई थी कि NGO ने ही एक फ्री-ट्रेड एग्रिमेंट रैली का आयोजन किया गया था. जिसमें कानून मंत्रालय के बाहर स्पॉन्सर्ड धरने करवाए गए थे. जो कि FCRA कानून का उल्लंघन है ! इंदिरा जयसिंह 2009 से 2014 तक यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद पर तैनात थीं. इसी बीच उनपर आरोप लगा था कि पद का फायदा उठाते हुए उन्होंने कानून का उल्लंघन किया ! सबूत 



 आखरी में क्या निकला 
☝ कांग्रेस के तीनों नेता राहुल, सोनिया और प्रियंका को समझा जाये तो कांग्रेस राज्य छोड कर कोई भी राज्य कोरोना से लड़ नहीं पा रहा ! हर दिन सिर्फ और सिर्फ मोदी पर हमला दूसरा कुछ नहीं ! एक कार्यक्रम चला रहे 'स्पिकअप इंडिया' ! लगातार फर्जी प्रचार कर कर के मोदी को बदनाम करने की साजिश करते रहते है जैसे मजदूरों और प्रवासी को सिर्फ बीजेपी शासित राज्य में उनके हाल में छोड दिया गया हो ! जैसे मोदी बिलकुल निर्दई बन गए है ! जैसे सरकारे कांग्रेस को छोडकर मजदूरो के प्रति संवेदनसील नहीं है ! कांग्रेस के ये तीन उनकी चिंता में मरे जा रहे है ! कांग्रेस के हिसाब से देश में कोई अन्य कांग्रेस को छोड कर मजदूरो की चिंता नहीं कर रही ऐसा दिखने की कोशिश कर रहे !

☝ लेकिन देश आज भी मोदी पर भरोषा कर रहा है लेकिन वही कांग्रेस के नेताओ पर जनता भरोषा करना बंद करती जा रही है ! कांग्रेस के हिसाब से लाकडाउन की वजह से देश बर्बाद हो गया ! लेकिन ये झूट पर झूट बोलते जा रहे पूरी दुनिया कोरोना वायेरस से परेशान है बर्बादी की कगार पर खड़ी है और सब कहीं व्यापर बंद है जापान पहली बार इतना नुकशान झेल रहा जो आज तक नहीं हुआ ! दुनिया में और गरीब देश है वहां यहाँ बत्तर समय है लेकिन वहां कांग्रेस नहीं और वोट के लिए झूट बोल नहीं वहां ! मोदी सरकार ने 1,70,000 crore और बाद 10,00,000 crore का आर्थिक मदद घोषित कर दिया जो भारत की अर्थव्यवस्था का १३ प्रतिसत है जबकि कांग्रेस सिर्फ ५% मांग रही बजट पहले के विडियो खुद इन्टरनेट पर देखले ! मोदी सरकार गरीबो के अकाउंट में सीधे पैसे डाले, गरीबो मुफ्त रसोई गैस और फ्री में रासन दिया है ! कांग्रेस के लोग इसको छुपा रहा सही मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रहे, गन्दी राजनीती पर उतर आये है ! 

☝ सुप्रीमकोर्ट में भी जैसे सच्चाई बताई है सुप्रीम कोर्ट ने भी मना की ऐसा नहीं की केंद्र काम नहीं कर रहा ! राज्य को प्रवासी को भेजने के लिए जिम्मेदार और रास्ते का खाना पीना का जिम्मा रेलवे का ! केंद्र सरकार की तरफ से मेहता ने कोर्ट को बताया की कुछ घटनाये हुई हे लेकिन जैसा घूम फिर के वही बताया जा रहा ! तुषार मेहता का कहना था जो गांव की तरफ झुण्ड में जा रहे कहीं आपस में ना फ़ैल जाये और कहीं ये शहर से गांव में ना फ़ैल जाये इसको रोखने की लिए लाकडाउन किया गया ! मेहता ने सारी हवा निकल दी है ! 



 पूरी कोर्ट की सुनवाई क्या किसने कहा
दिनांक 28 May 2020, को सुप्रीमकोर्ट द्वारा प्रवासी मजदूरो के प्रति स्वतः संज्ञान लिया एक बैठक की ! जिसमे तीन जज थे ! एक जज अशोक भूषण, दूसरा संजय किशन कौल और आखरी जज शाह ! निचे समय के साथ मिनट में क्या क्या किसने बोला 

03:49Pm :
जज - हम इस बात पर विवाद नहीं कर रहे है की केंद्र ने कदम नहीं उठाये है लेकिन जिसको भी मदद की जरुरत है, वह नहीं मिल रहा है !

03:50Pm : 
संजय पारीख - अदालत से आग्रह किया कि वे एसजीएस तुषार मेहता को केंद्र की ओर से अपना सबमिशन पूरा करने के बाद पहले प्रवासी संकट को हल करने के लिए अदालत से आग्रह करें।
बहुत अधिक शोर गुल के दौरान तुषार मेहता ने एक लिखा हुआ कागज का टुकड़ा जिसमे लिखा था कृपया माइक बंद करे ! 
तुषार मेहता - हम इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए SC के प्रति बेहद आभारी हैं। इसके कारण, राज्य और केंद्र के पास प्रवासी संकट मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अब एक अगस्त फोरम है। कुछ दुर्भाग्यपूर्ण चीजें हुई हैं और इसे बार-बार फ्लैश किया जा रहा है। 
न्यायमूर्ति भूषण - हम इस तथ्य पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि केंद्र ने कदम नहीं उठाए हैं। लेकिन जिसे मदद की जरूरत है, उसे वह मदद नहीं मिल रही है। राज्य अपना काम नहीं कर रहे हैं।!!!!!!!
तुषार मेहता - COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी और यह मुख्य उद्देश्य था। तब प्रवासियों का आवागमन था। दूसरे, केंद्र ने फैसला किया तो हमें तर्कों को स्थानांतरित करना होगा। जब तक एक भी प्रवासी प्रवासी मजदूर को उसके गांव नहीं भेजा जाएगा, तब तक सरकार प्रयास बंद नहीं करेगी।
तुषार मेहता - 1 मई से 27 मई तक श्रमिक ट्रेनें शुरू की गईं, 3,700 विशेष रेलगाड़ियों ने 50 लाख प्रवासी मजदूरों को ले जाने का काम किया है।
तुषार मेहता -  केंद्र और राज्य राजनीतिक और पार्टी लाइनों से ऊपर काम कर रहे हैं ताकि शमन के उपाय किए जाएं। हमने प्रति दिन 1.85 लाख प्रवासी स्थानांतरित किए हैं। यह साबित करता है कि 137 विशेष श्रमिक ट्रेनों का परिचालन किया गया है !
तुषार मेहता - प्रवासियों में जो सिर्फ पड़ोसी राज्यों में यात्रा करना चाहते हैं, तो हमने सड़क परिवहन का उपयोग किया है और इस प्रकार हमारे पास ऐसे प्रवासियों के लगभग 41 लाख परिवहन हैं, सड़क परिवहन में 97 लाख प्रवासियों को 1 मई से परिवहन किया गया है।
जस्टिस अशोक भूषण - श्रमिक ट्रेनों के बारे में, किराया क्या है?
तुषार मेहता - मुझे 10 मिनट चाहिए।
जस्टिस एमआर शाह - ऐसा लगता है कि किराया के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है और इस तरह बिचौलिए फायदा उठा रहे हैं!
तुषार मेहता - या तो मूल राज्य इसका भुगतान करता है, या प्राप्त राज्यमूल राज्य प्रवासी श्रमिकों को चुनता है और उन्हें रेलवे स्टेशनों तक पहुंचाता है। फिर उनकी स्क्रीनिंग की जाती है। हम लक्षणों वाले व्यक्तियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं देते हैं। फिर रेलवे द्वारा मुफ्त भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाता है!

03:51Pm :
तुषार मेहता - अब तक भारतीय रेलवे ने 80 लाख से अधिक भोजन और एक करोड़ बोतल पीने के पानी की सेवा दी है। इसके बाद वे राज्य गोकर्ण स्क्रीन पर फिर से पहुंचते हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्र COVID-19 से प्रभावित न हों !

03:53Pm :
तुषार मेहता - तब जब वे लक्षणों के साथ पहुंचते हैं, तो उन्हें क्वारंटाइन कर दिया जाता है और बाकी गांवों में वापस भेज दिया जाता है।
तुषार मेहता - अब टिकट किराया पर। प्रारंभ में निर्णय यह केंद्रीय स्तर पर नहीं हो सकता था। इसे विकेंद्रीकृत करने की आवश्यकता थी और राज्य इसकी देखभाल करेंगे कुछ राज्यों ने शुरू में उन पर आरोप लगाया और कुछ ने मुफ्त यात्रा की।

03:56Pm :
तुषार मेहता - तब यह तय किया गया था कि रेलवे राज्य या मूल राज्य से किराया वसूल करेगा, लेकिन प्रवासियों को भुगतान नहीं किया जाएगा। यूपी अच्छा काम कर रहा है जहां पहुंचने पर उन्हें खाने की किट मिलती है, 1,000 रुपये और उन्हें गांवों में छोड़ने से पहले छोड़ दिया जाता है।
जस्टिस अशोक भूषण - आप (एसजी तुषार मेहता) राज्यों में पहुंचने पर पहले ही अगले चरण में पहुंच चुके हैं। लेकिन ऐसे प्रवासी मजदूर हैं जो रेल या सड़क पर जाने में असमर्थ हैं। वे महाराष्ट्र, और अन्य स्थानों पर फंस गए हैं।
जस्टिस एसके कौल - यदि दोनों राज्य भुगतान नहीं करते हैं तो क्या होगा? फिर प्रवासियों का भुगतान कैसे होगा? एफसीआई के पास उपलब्ध खाद्य अधिशेषों के साथ, उस समय के दौरान भी जब ये लोग परिवहन के लिए इंतजार कर रहे हैं, क्या इन लोगों को भोजन की आपूर्ति की जा रही है या नहीं? भोजन की कमी क्यों होनी चाहिए?

14:02Pm :
जस्टिस एमआर शाह - प्रवासी श्रमिकों को भोजन कौन दे रहा है? कौन सा राज्य दे रहा है?
जस्टिस भूषण - राज्य प्राप्त करने की स्थिति में भोजन किसके द्वारा दिया जाएगा?
जस्टिस एसके कौल - गंतव्य राज्य उन्हें वहां पहुंचने तक भोजन नहीं दे सकते। यह मूल राज्य या केंद्र होना चाहिए। खाना कौन सप्लाई कर रहा है?

14:03Pm :
तुषार मेहता - एनजीओ, और स्वयं सहायता समूह हैं जो श्रमिकों को पूरा कर रहे हैं। 26 मई को प्रवासी श्रमिकों को 92,000 से अधिक भोजन परोसा गया है। उद्योग और नियोक्ताओं ने भी श्रमिकों को खिलाया है। 
जस्टिस कौल - सभी प्रवासियों को वापस उनके घर तक पहुंचाने में आपको कितना समय लगेगा।
जस्टिस शाह - ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है लेकिन फंसे प्रवासियों की संख्या को देखते हुए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है !
तुषार मेहता - हमने इस रिपोर्ट को दर्ज करने के लिए रात भर काम किया है। जल्द ही व्यापक रिपोर्ट दर्ज करेंगे। हम केवल फंसे प्रवासियों का विवरण दे सकते हैं जब राज्य सरकार हमें जानकारी प्रदान करती है।
तुषार मेहता - हमने 1 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिकों को स्थानांतरित कर दिया है। लेकिन ऐसे कार्यकर्ता भी हैं जो गतिविधियों को फिर से खोलने के कारण स्थानांतरित नहीं हुए। प्रवासियों को चिंता या स्थानीय स्तर के दायित्व के कारण चलना पड़ रहा है, जहां उन्हें कहा जाता है "अब चलना, ट्रेनें नहीं चलेंगी। लॉकडाउन विस्तारित"।

14:09Pm :
court - प्रवासियों को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक समय का अनुमान क्या है? क्या व्यवस्था की जा रही है? तंत्र क्या है? क्या लोग जानते हैं कि उन्हें 5 वें दिन, 7 वें दिन या 10 वें दिन स्थानांतरित किया जाएगा?

14:10Pm :
जस्टिस भूषण - एक समय की जरूरत है, जिसमें प्रवासी श्रमिक को इंतजार करना पड़ता है, जिसके भीतर उसे ले जाया जाएगा और अंतरिम में भोजन और सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
तुषार मेहता - मुझे राज्यों से प्रतिक्रिया लेने की जरूरत है। मैं जिम्मेदारी से किनारा नहीं कर रहा हूं !
जस्टिस भूषण - जब कोई प्रवासी राज्य जाने की इच्छा रखता है, तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता है कि हम आपको नहीं लेंगे !
तुषार मेहता - नहीं बिल्कुल नहीं। वे भारत के नागरिक हैं। कोई विवाद नहीं है।

14:15Pm :
कोर्ट - लेकिन क्या प्राप्त राज्य या मूल राज्य द्वारा एक समझ है कि कौन भुगतान करेगा?
तुषार मेहता - सभी राज्यों के बीच एक समझ मौजूद है !
कोर्ट - भारत में, बिचौलिया हमेशा रहेगा। लेकिन जब हम किराए के भुगतान की बात करते हैं तो हम बिचौलियों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। किसे भुगतान करना होगा, इस बारे में एक स्पष्ट नीति बनानी होगी। यदि तंत्र सभी राज्यों के लिए अलग है तो यह भ्रम पैदा करेगा !

14:28Pm :
तुषार मेहता - राज्यों को जवाब दें और फिर आपके पास एक समग्र दृष्टिकोण होगा। भटकने की घटनाओं को सुनवाई को प्रभावित न करें।
कोर्ट - कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। राज्यों और केंद्र को यह समझने की जरूरत है कि ये हमारी चिंताएं हैं।
तुषार मेहता - COVID-19 को रोकने के लिए केंद्र बहुत कुछ कर रहा है लेकिन हमारे देश में कयामत के भविष्यद्वक्ता हैं जो केवल नकारात्मकता, नकारात्मकता, नकारात्मकता फैलाते हैं। ये आर्म चेयर बुद्धिजीवी देश के प्रयास को मान्यता नहीं देते हैं !
तुषार मेहता - कयामत के इन पैगम्बरों के पास यह स्वीकार करने के लिए देशभक्ति नहीं है। राज्य सरकारें और मंत्री रात भर काम कर रहे हैं। इनमें से कोई भी व्यक्ति इस बात को स्वीकार नहीं करता है कि - प्रत्येक जीविका खतरे में है !

14:29Pm :
तुषार मेहता -  इन सभी पत्रों को, जिन्हें एससी को मनाने के लिए न्यायालय को संबोधित किया गया है कि वे इस मुद्दे का आत्म-संज्ञान लेते हुए करोड़ों में कमा रहे लोगों द्वारा लिखे गए हैं
तुषार मेहता -  एक फोटोग्राफर था जो 1983 में सूडान गया था। एक गिद्ध और एक घबराया हुआ बच्चा था। गिद्ध बच्चे के मरने का इंतजार कर रहा था। उन्होंने इसकी फोटो खींची और यह फोटो NYT में प्रकाशित हुई और फोटोग्राफर को पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 4 महीने बाद आत्महत्या कर ली ! 
तुषार मेहता - एक पत्रकार ने उनसे पूछा था - बच्चे का क्या हुआ? उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता, मुझे घर लौटना था। फिर रिपोर्टर ने उससे पूछा - कितने गिद्ध थे? उसने एक कहा। रिपोर्टर ने कहा - नहीं। वहाँ दो है। एक ने कैमरा पकड़ा हुआ था।
तुषार मेहता - यदि कुछ लोग स्थिति को नियंत्रित करना चाहते हैं तो यह एडीएम जबलपुर बन जाएगा। इन सभी लोगों को हस्तक्षेप करने के लिए गिद्ध और बाल कहानी को लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने क्या योगदान दिया है?
तुषार मेहता - इन सभी हस्तक्षेपकर्ताओं को एक हलफनामा दायर करना होगा जिससे उन्हें अपनी साख के बारे में बताना चाहिए कि उन्होंने क्या किया है? किसी को भी राजनीतिक मंच बनने के लिए इस मंच का उपयोग न करने दें। निहित आवेदक फाइल पर हलफनामा दें कि उनका योगदान क्या है?

14:30Pm :
जस्टिस एमआर शाह - हम ट्रैक पर नहीं जा सकते।
जस्टिस कौल - जो लोग संस्थान का हिस्सा रहे हैं, अगर उन्हें लगता है कि वे संस्था को चला सकते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें अपने विवेक से जाना होगा।
तुषार मेहता - मुद्दा यह है कि कुछ उच्च न्यायालय समानांतर सरकारें चला रहे हैं !

14:37Pm :
पी नरसिम्हा - मैं सॉलिसिटर जनरल से पूरी तरह सहमत हूं। लगभग 18 लाख लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया है और 1335 ट्रेनें चल रही हैं। 176 ट्रेनों को चालू किया गया है और 96 विशेष ट्रेनें हैं। मजदूरों के लिए भी शिविर हैं !

14:38Pm :
मनीष कुमार - हमने सड़क मार्ग से लगभग 10 लाख लोगों को राहत दी है। ब्लॉक स्तर, पंचायत स्तर और ग्राम स्तर पर संगरोध केंद्र हैं। एक ही स्रोत क्षेत्र के प्रवासियों को एक ही केंद्र में रखा जा रहा है और उनके लिए प्रतिपूर्ति भी !
जस्टिस भूषण - लेकिन हम उन लोगों के परिवहन के बारे में चिंतित हैं जो फंसे हुए हैं। समस्या के कई हिस्से हैं। राज्य में पहुंचने के बाद आप दूसरे भाग के बारे में बता रहे हैं। कोई भी मजदूर को किराया देने के लिए नहीं कह सकता। इसलिए आपको जल्द ही किसी निर्णय पर पहुंचने की आवश्यकता है !

14:42Pm :
मनीष सिंधवी - हमारे पास सीमाओं पर पारगमन शिविर हैं। हमने अब तक 7.5 लाख लोगों की भर्ती की है।

14:53Pm :
तुषार मेहता - कृपया इसे राजनीतिक मंच न बनाएं। संबोधित करने से पहले कृपया अपने योगदान के बारे में बोलें !
कपिल सिबल - बहुत कुछ !! बहुत !! इसे व्यक्तिगत न बनाएं !
तुषार मेहता - मैं केवल आपके क्लाइंट के बारे में बोल रहा हूं !

14:54Pm :
कोर्ट - आप किसके लिए दिखाई दे रहे हैं?
कपिल सिबल - (एक पेपर खोजने के लिए समय लेता है) मैं दिल्ली श्रमिक संगठन और अन्य से आता हूं !
कोर्ट - कृपया हमें अपना सुझाव बताएं, और कुछ नहीं !
कपिल सिबल - यह एक मानवीय संकट है। यदि आप मुझे सहायता नहीं करना चाहते हैं तो मैं नहीं करूंगा। मैं यहां राजनीति के लिए नहीं हूं !

14:55Pm :
कपिल सिबल - एक आपदा प्रबंधन अधिनियम हैइसके तहत एक राष्ट्रीय योजना तैयार की जानी है। राष्ट्रीय योजना राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा तैयार की गई है और एनडीएमए द्वारा अनुमोदित है। राष्ट्रीय योजना के तहत एक धारा 12 है : राहत के न्यूनतम मानकों के लिए दिशानिर्देश।
कपिल सिबल - सभी जिम्मेदारी राज्य सरकारों को स्थानांतरित कर दी गई है। लोग क्यों चल रहे हैं इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। एक महीने में 91 लाख का परिवहन किया गया है तो जनगणना के अनुसार उन्हें प्रक्रिया को पूरा करने में 3 महीने लगेंगे। तो योजना क्या है ??
कपिल सिबल - अपने (तुषार मेहता से) हलफनामे में आपने राष्ट्रीय योजना या राज्य योजना को इंगित नहीं किया है। रेलवे अभी 3% की क्षमता पर काम कर रहा है। उनसे पूछें कि पहले कितनी ट्रेनें चलती थीं और अब कितनी चल रही हैं।

14:56Pm :
कपिल सिबल - ऐसे लोग हैं जो हिंदी नहीं बोलते हैं, दूसरे राज्यों के प्रवासी हैं जो संवाद करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें क्या खाना दिया जा रहा है? दलहन जवाब नहीं है। वे यह सब कहां पकाएंगे?
कपिल सिबल - जब कोई पंजीकरण करने के लिए आता है तो वह पंजीकरण कैसे करता है? ऐसे प्रवासी हैं जो हिंदी भाषा या उस राज्य की भाषा नहीं बोलते हैं जिसमें वे रहते हैं। भोजन के बारे में क्या है? दाल देना पर्याप्त नहीं है। वे कहाँ खाना बनाएंगे ?. श्रमिक ट्रेनों में सामाजिक भेद की कोई अवधारणा नहीं है।

14:58Pm :
कोर्ट - आपके राज्य में (महाराष्ट्र के वकील से) कितने प्रवासी वापस यात्रा करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं? आप सबसे अधिक प्रभावित हैं, इसलिए हमें बताएं !
महाराष्ट्र का वकील - हम भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं। हमने शिविर लगाए हैं और इन प्रवासियों को 5 किलो चावल दे रहे हैं !

15:01Pm :
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को काउंटर दाखिल करने के लिए समय दिया।

15:02Pm :
इंदिरा जयसिंग - यह कैसे हो सकता है? प्रवासी श्रमिकों के अलावा सभी को सुना गया है ! ऐसी अधिशेष ट्रेनें हैं जिनका उपयोग प्रवासियों के लिए किया जा सकता है। अभी केवल 3% ट्रेनों का उपयोग किया जा रहा है।

15:03Pm :
इंदिरा जयसिंग - घर वापस आने के लिए कुल 4 करोड़ प्रवासियों की प्रतीक्षा है। सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि हम आवश्यक वस्तुओं के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियों को डायवर्ट नहीं कर सकते हैं, लेकिन घर जाने के लिए लगभग 4 करोड़ प्रवासी इंतजार कर रहे हैं।
तुषार मेहता - आप अन्य प्रवासी मजदूरों को शिफ्ट करने के लिए उकसा रहे हैं जो शिफ्ट नहीं करना चाहते !
इंदिरा जयसिंग - हम आपको भारतीय रेलवे द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर आंकड़े दे रहे हैं !

15:15Pm :
कालीन गोशाल्विश - जब लॉकडाउन का विस्तार होता है और बड़े पैमाने पर पलायन शुरू होता है तो वास्तविक जोखिम होता है। मौजूदा आंकड़ों को देखते हुए, सभी प्रवासियों को घर वापस आने में 6-8 महीने लगेंगे। 

15:26Pm :
अभिषेक मनु सिंघवी - एक प्रवासी बिना यह जाने स्टेशन पर पहुंच रहा है कि वह ट्रेन में जा रहा है या नहीं। जिलेवार सूची हैं। SG कह रहा है कि 100% टिकट राज्य द्वारा दिया गया है। लेकिन राज्यों के पास पैसा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश - कई राज्यों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दाखिल की हैं और एसजी मेहता की एक रिपोर्ट को भी केंद्र से वापस ले लिया गया है।

15:34Pm :
कोर्ट का आदेश - कई खामियाँ और कठिनाइयाँ हैं, जो पंजीकरण, परिवहन और प्रवासी को भोजन और आश्रय प्रदान करने की प्रक्रिया में देखी जा रही हैं। पंजीकरण के बाद भी कार्यकर्ता बसों या ट्रेनों में हफ्तों से लेकर महीनों तक इंतजार करते हैं। बड़ी संख्या में पैदल देखा जा सकता है !

15:39Pm :
कोर्ट का आदेश - कुछ राज्यों ने हमारे नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है। हम राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र को उनके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कुछ उचित समय देते हैं। जब प्रवासी अपने स्थानों पर पहुंचते हैं, तो रिपोर्ट्स को पुनः प्राप्त करने पर खाद्य रोजगार के मुद्दों को भी उठाया जाएगा !
कोर्ट का आदेश - प्रवासियों के दुख को देखते हुए केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए कुछ अंतरिम दिशा-निर्देशों की जरूरत है !
१- प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन या बस का कोई किराया नहीं लिया जाएगा। किराया साझा करने के लिए रेलवे लेकिन प्रवासियों से कोई किराया नहीं।
२- फंसे हुए सभी प्रवासियों को संबंधित राज्य द्वारा प्रचारित और उन्हें अधिसूचित स्थानों पर भोजन उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे दोनों छोरों को पूरा कर सकें। जबकि वे ट्रेन या बस में सवार होने की प्रतीक्षा करते हैं, वे इस तरह से बच सकते हैं !
३- उद्गम राज्य को रेलवे द्वारा भोजन और पानी और भोजन प्रदान करना चाहिए। इसके बाद राज्य स्टेशनों से उनके गांवों में परिवहन, भोजन और भोजन देंगे। यह रास्ते या बसों दोनों शिविरों के लिए लागू है।
४- राज्य प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण में तेजी लाएंगे और उन स्थानों के पास हेल्प डेस्क का निर्माण करेंगे, जहां वे फंसे हुए हैं, जहां वे शुरुआती समय में बस या ट्रेनों में सवार होने के लिए कहेंगे। पूरी जानकारी को प्रचारित करने की आवश्यकता है ताकि प्रवासियों को इसकी जानकारी हो !
५- जब भी कोई प्रवासी सड़क पर घूमता हुआ पाया जाता है, तो उन्हें जल्द से जल्द शिविरों में ले जाया जाएगा और उन्हें सुविधाओं के साथ मदद की जाएगी।

15:48Pm :
तुषार मेहता - मेरे पास निर्देश हैं कि हम गाड़ियों की कोई कमी नहीं हैं। जैसे ही राज्य सरकार आगे बढ़ेगी, हम ट्रेनें चलाएंगे। प्रवासी संकट के लिए हमारे पास एक राष्ट्रीय और राज्य योजना है ! लेकिन यह अधिक लोगों को चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है ! 
कोर्ट - लोग पहले से ही चल रहे हैं।

15:48Pm :
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अगले 5 जून को उठाया।

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