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May 16, 2020

कांग्रेस, बसपा लाउडस्पीकर पर अजान के समर्थन में - हाईकोर्ट की लताड

अज़ान लाउडस्पीकर पर नहीं आज़म पहले भी होती थी : हाईकोर्ट

Allahabad High Court
(Photo : Wiki)

 दिनांक 08 Jan 2018, को उत्तर प्रदेश में आदित्य योगीनाथ ने
"किसी भी धार्मिक, स्वाजनिक स्थानों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंद लगाते है!"
ये आदेश राज्य की उच्च नियालय द्वारा एक सुनवाई के दौरान दिया गया था जिसका पालन करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है !
 सबूत के लिए यहाँ क्लिक करे 


Left - Advocate Said Safdar Ali Kajmi
 Right - BSP Leader Afzal Ansari

 दिनांक 05 May 2020, बहुजन समाज पार्टी (मायावती) के गाजीपुर के सांसद अफज़ल अंसारी ने उच्च नियालय में PIL-570 (२०२०) दिनांक 26 Apr 2020 को डाली थी ! इनके दो वकील थे "सैयद सफ़दर अली काजमी" और "फ़ज़ल हसनैन" ! दो जज एक "श्रीमान शशिकान्त गुप्ता" और दूसरे "अजित कुमार" थे ! इस केस की सुनवाई "विडियो कांफेरेंस" के जरिये सुनी गई कोरोना की महामारी को देखते हुवे !  उत्तरप्रदेश राज्य की तरफ से "श्रीमान मनीष गोएल" और "अविनाश कुमार अवस्थी" आये ! इसमे कहा गया की
"एक प्राथना (अजान) जो लोगो के धर्म पर मौलिक अधिकार है  और अजान किसी कोरोना की महामारी का प्रसार नहीं करता! "
दिनांक 28 Apr 2020 को कांग्रेस के नेता और बड़े वकील "सलमान खुर्शीद" ने भी कोर्ट को पत्र लिखा मिस्टर फैज़ल के साथ की
"गाजीपुर, हाथरस और अन्य जिले में मुसलमानों को अजान (जो इस्लाम का अभिन्न अंग है ) की अनुमति दी जाये !"
दिनांक 25 Apr 2020 को भी एक पत्र बड़े बकील "श्रीमान एस वसीम कादरी" ने गाजीपुर को लेके लिखा था की कुछ सहूलियत दी जाये ! उसके बाद तीनो मामलो को एक साथ दिनांक 30 Apr 2020 को पंजीकरण किये गए थे
Left - Advocate S Wasim Kadri
Right - Congress Advocate Salman Khurshid


 सारी सुनवाई करने के बाद May 05 2020 को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था ! मुद्दा इसलिए था की दिनांक 25 Apr 2020 से रमजान शुरू हुवे थे ! शुरुवात का समय और दैनिक उपवास का समापन अजान की ध्वनि से होता है और १४०० सालो से अभ्याश किया जा रहा है ! उसके राज्य के वकील ने काउंटर किया ! और कुछ सवाल हुवे !
१- ध्वनि प्रवर्धक उपकरणों के माध्यम से अज़ान के पुनर्पाठ को प्रतिबंधित या प्रतिबंधित करने वाला कोई भी आदेश है या नहीं भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन और इसलिए मनमाना और असंवैधानिक?

२- क्या मुअज्जिन / अधिकृत व्यक्ति द्वारा अज़ान की पुनरावृत्ति सरकार या प्रशासन द्वारा जारी किए गए किसी भी आदेश या दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है या अन्यथा Covid19 संकट के रोकथाम के उपायों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है?
 पूरी सुनवाई के लिए यहाँ क्लिक करे 



➨ ऐसे बहुत कैसो की लिस्ट आई जो अजान को लेके थे 
१- बिरंगाना धार्मिक समाज बनाम राज्य और ओआरएस MANU/WB/0254/1996 (ध्वनि पर) कलकत्ता उच्च नियालय
२- मौलाना मुफ्ती सैयद मोहम्मद नूरुर रहमान बरकती और ओआरएस। बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और ओ.आर.एस. MANU/WB/0211/1998 (ध्वनि पर) कलकत्ता उच्च नियालय
३- चर्च ऑफ़ गॉड (पूर्ण भारत में सुसमाचार) बनाम। K.K.R. आलीशान SCC 282 (ध्वनि पर) अपेक्स कोर्ट



 पॉइंट 40 में जज द्वारा सुनाया गया की
"अज़ान इस्लाम का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग हो सकता है, लेकिन लाउड-स्पीकर या अन्य ध्वनि प्रवर्धक उपकरणों के माध्यम से अज़ान की पुनरावृत्ति को धर्म का एक अभिन्न अंग नहीं कहा जा सकता है, जो मौलिक रूप से निहित है भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत, जो कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य और भारत के संविधान के भाग III के अन्य प्रावधानों के अधीन है। इस प्रकार, जिला प्रशासन द्वारा किसी भी परिस्थिति में ध्वनि प्रवर्धित उपकरणों को रात 10.00 बजे से सुबह 6.00 बजे के बीच उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता रिकॉर्ड को लाने में भी असफल रहे हैं या यहां तक ​​कि उन्होंने ध्वनि प्रवर्धक उपकरणों के उपयोग के लिए ऐसी कोई भी अनुमति मांगी है, जो कि उनके संबंधित मस्जिदों से अज़ान की पुनरावृत्ति के लिए और इसलिए, ऐसी अनुमति के बिना उनका उपयोग अवैध होगा और इस न्यायालय द्वारा अनुमोदन प्राप्त नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, यदि ऐसा कोई भी आवेदन संबंधित अधिकारियों के समक्ष दायर किया जाता है, तो इसे कानून के अनुसार शोर प्रदूषण नियमों सहित निपटा जा सकता है। इसके अलावा, जैसा कि पहले से ही एनाबिनोव में विस्तार से चर्चा की गई है, अज़ान को किसी भी प्रवर्धक उपकरण का उपयोग किए बिना मानव आवाज़ से मस्जिदों की मीनारों से मुअज्जिन द्वारा सुनाया जा सकता है और इस तरह के सस्वर पाठ को राज्य द्वारा जारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के बहाने से बाधित नहीं किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैं महामारी- कोविद -19।"


 पुरे केस ये पता चला कुछ जरूरी पोइंट्स 
१- कांग्रेस के बड़े नेता "सलमान खुर्शीद" और बसपा के बड़ा नेता "अफज़ल अंसारी" ने ही केस किया !!
२- एक और बड़े वकील "एस वसीम कादरी" ये वही वकील है जो 21 Dec 2019 को जामिया इस्लामिया के बाहर CAA का विरोध कर रहे थे !!
 कादरी के सबूत के लिए यहाँ क्लिक करे 
३- अजान इस्लाम का अंग है लेकिन अजान स्पीकर से करना इस्लाम का अंग नहीं है ये आर्टिकल 25 का उलंघन करता है !!
४- अजान करना है तो मानव आवाज से करो ध्वनि उपकरण से नहीं !!



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